
जौनपुर:अब्दुर्रहमान शेख ने हासिल की एम.सी.ए की डिग्री परिजनों में हर्ष का माहौल
डॉ.इम्तियाज अहमद सिद्दीक़ी सह-सम्पादक लखनऊ(उत्तर प्रदेश)
रियाजुल हक जौनपुर
अब्दुर्रहमान शेख ने हासिल की एम.सी.ए की डिग्री परिजनों में हर्ष का माहौल
जनपद और गांव मानीकलां का नाम किया रोशन
आफताब आलम रिपोर्टर मानीकलां
जौनपुर(उत्तरशक्ति)विकास खण्ड सोंधी शाहगंज क्षेत्र मानीकलां निवासी अब्दुर्रहमान शेख पुत्र इमरान अहमद ने परिजनो का नाम किया रोशन।जब से एम.सी.ए.की डिग्री हासिल हुई है।तब से ग्राम वासियों दोस्तो का बधाई देने का सिलसिले जारी है।
अब्दुर्रहमान शेख जनपद जौनपुर के सबसे बड़ी आबादी वाला गांव मानीकलां के मूल निवासी है।इनकी प्राथमिक शिक्षा वह हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा महर्षि दयानन्द इंटर कालेज मानीकलां से हुई थी।इसके बाद इनका एडमिशन पूर्वांचल यूनिवर्सिटी जौनपुर में बी.सी.ए हुआ वहां से बी.सी.ए.की पढ़ाई की लेकिन अब्दुर्रहमान के दिमाग में था।कि मैं एम.सी.ए.की डिग्री हासिल करूं इसके बाद इनका एडमिशन इंटीग्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ में हुआ और अब्दुर्रहमान अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया।
मानीकलां से निकल कर लखनऊ तक का सफर किया शिक्षा का कोई अंत नहीं होता है।सिर्फ आपके अंदर प्रतिभा होनी चाहिए क्या शहर क्या गांव बस हौसले बुलंद होना चाहिए।इसी कड़ी में एक नाम आता है अब्दुर्रहमान का।इसका श्रेय वे अपने माता-पिता और गुरु को देना चाहते हैं क्योंकि पढ़ाई के वातावरण के बिना और सही मार्गदर्शन के सफल होना एक कठिनाई भरा मार्ग होता है जिसे पूरा करने में मेरे परिवार वालों ने हमेशा सहयोग दिया इस दिशा में आगे बढ़ते समय ऐसे भी लोग सामने आए जिन्होंने अपने नेतृत्व में मेरे संघर्ष की यात्रा में योगदान दिया।
अब्दुर्रहमान ने कहा कि सफल होने के लिए मार्ग कर चयन यह सोचकर ना करें कि इस पर सब चले हैं बल्कि यह सोचकर करें कि किस मार्ग पर चलकर सब सफल हुए हैं पढ़ाई सभी करते हैं लेकिन शाही दिशा में और सही मार्गदर्शन के बिना कितनी भी पढ़ाई करले सफल नहीं हो सकते इसलिए अपने गुरु और सफल लोगों से सीख लेकर उसका अनुसरण करें ताकि आपकी सफलता की यात्रा कम समय में मंजिल तक पहुंचा दें और आप कहीं भटके बिना अपने लक्ष्य को समय पर हासिल कर ले।
जब उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक मानीकला के संवाददाता ने दूर संचार पर परिजनों से बात किया तो परिजनों का कहना था कि अब्दुर्रहमान अपने बुलंद इरादों से आज बुलंदी पर पहुंच गया है। अब्दुर्रहमान शुरू से ही पढ़ने में बहुत मेहनती था। अब्दुर्रहमान के पिता के मन में अपने बच्चों को पढ़ने की एक लगन थी हमेशा बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते रहते थे। हौसले के दम पर ही सफलता हासिल की जा सकती है जब आपके पास शिक्षा होगी तो दुनियां आपके कदम चूमेगी।