Take a fresh look at your lifestyle.

निजी स्कूलों में अभिभावकों की जेब हो रही खाली,सुविधा के नाम सिर्फ़ पर शोषण

0 53

 

निजी स्कूलों में अभिभावकों की जेब हो रही खाली,सुविधा के नाम सिर्फ़ पर शोषण
नौसिखिए वाहन चालक, डग्गामार वाहन में भूसे की तरह भरते हैं बच्चो को नही है कोई सुधि लेने वाला
रीएडमिशन व एनुवल फीस के नाम पर होती है हज़ारों की अवैध वसूली

डॉ.इम्तियाज़ अहमद सिद्दीक़ी ब्यूरो चीफ़
उत्तर शक्ति हिन्दी दैनिक
राष्ट्रीय समाचार समर्पित(साप्ताहिक)
ताज्जिया उर्दू (साप्ताहिक)
जपनद-जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

अज़ीम सिद्दीक़ी संवाददाता

खेतासराय जौनपुर(उत्तर शक्ति)शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रो तक इन दिनों प्राइवेट स्कूलों में एडमीशन का दौर जारी है।
विद्यालय संचालकों द्वारा शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की जेबें ढीली करने के तमाम तरीके अपनाए जा रहे हैं।अभिभावक बच्चों का भविष्य को संवारने की कोशिश में शिकार हो रहे हैं। और जिम्मेदार इनकी करतूतों पर मौन साधे हुए हैं।
सरकार शिक्षा के लिए कोई भी कदम उठाए लेकिन उसपर लगाम कसने के जिम्मेदार जबतक गम्भीर नहीं होंगे।तबतक कोई हल निकलने का सवाल ही नहीं है।वर्तमान में शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है। नया सत्र चालू होते ही अभिभावकों को शिकार बनाने का काम शुरू हो गया है। निजी विद्यालयों के ड्योढ़ी पर शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ रही है।
बेतहाशा फीस वृद्धि व मनमानी किताब के मूल्यों से बच्चों को पढ़ना अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं।
शिक्षा विभाग मौन धारण किए है। शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है। इसके द्वारा मानव की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि, व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है।
उसे सभ्य व योग्य नागरिक बनाया जाता है। छोटे बच्चों के अंदर बहुत सी मानसिक शक्तियां विद्यमान रहती है। शिक्षक इन अंतनिर्हित शक्तियों को प्रस्फुटन करने में सहायता प्रदान करता है।इसलिए शिक्षक को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है।

शहर से लेकर कस्बा खेतासराय व आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बरसाती मेढ़क की तरह दिखाई देने वाले निजी विद्यालय अधिकतर गैर मान्यता प्राप्त हैं।
जो विभाग के जिम्मेदारों की कृपा से संचालित हो रहे हैं।और अभिभावकों का शोषण करने में कोताही नहीं बरत रहे। निजी विद्यालय व इंग्लिश मीडियम स्कूलों में केरला आदि जगहों के शिक्षकों से पढ़ाई के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
सरकार की सख्ती के बावजूद शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है।स्कूलों में योग्य शिक्षक के नाम अयोग्य शिक्षक कम पैसों में रखकर बच्चों को भेड़ की तरह हांकना शुरू कर देते हैं। जबकि छोटे बच्चों की बुनियादी शिक्षा और संस्कारित होनी चाहिए। जिससे उनके भविष्य निर्माण की नींव मज़बूत बन सके।

प्रत्येक वर्ष नया सत्र शुरू होते ही किताबों के पैटर्न बदल दिए जाते हैं।बच्चे अगली कक्षा में जाते हैं जहां ड्रेस भी बदलता रहता है। किताब और यूनीफॉर्म स्कूल से ही देने की योजना अभिभावकों की कमर तोड़ रही है। बच्चों को लाने और ले जाने के नाम पर वाहन की मोटी फीस देने के बाद भी स्कूली बसों में बच्चों की काफी दुर्गति देखने को मिलती है। कम पैसे में नौसिखिए चालकों द्वारा डग्गामार वाहनों से बच्चों की जान जोखिम में डालकर भूसा की तरह भरकर ढोने का काम बदस्तूर जारी है। स्कूलों में चलने वाले काफी वाहनों का न तो कोई फिटनेस है न ही आपात स्थिति में सुरक्षा का इंतज़ाम। समय रहते जिम्मेदार भी अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़े रहते हैं। लेकिन, जब कहीं कोई हादसा होता है तो कुछ समय के लिए इनकी कुम्हकर्णी नींद खुलती है।

Naat Download Website Designer Lucknow

Best Physiotherapist in Lucknow

Best WordPress Developer in Lucknow | Best Divorce Lawyer in Lucknow | Best Advocate for Divorce in Lucknow