
गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान से कर्जदाताओं ने भी मुहं मोड़ा !
अशोक भाटिया
गले तक कर्ज में डूबे और सातवें आसमान पर पहुंच चुकी महंगाई से जूझ रहे पाकिस्तान की मुसीबतें कम नहीं हो रही है। अब उसे और कर्ज मिलने में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं क्योकिं पाकिस्तान की इकोनॉमी चरमरा चुकी है. मुल्क पर कर्ज के कुचक्र में फंस चुका है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने जानकारी के अनुसार उसका कुल कर्ज और देनदारी दिसंबर, 2023 तक 27.2 फीसदी बढ़कर 81.2 ट्रिलियन रुपये (131 अरब डॉलर) पहुंच गई है. पिछले एक साल में ही देश पर कर्ज 17.4 ट्रिलियन रुपये की वृद्धि हुई है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 63.83 ट्रिलियन रुपये था ।
कर्ज का यह जंजाल अभी और गहरा हो गया जब पाकिस्तान ने आईएमएफ से एक और बेलआउट पैकेज मांगा था . साथ ही देश में राजनीतिक स्थिरता का माहौल भी नहीं आ पा रहा था . हाल ही में हुए आम चुनाव में देश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. ऐसे में पाकिस्तान इकोनॉमिक और पॉलिटिकल मोर्चे पर असफल होता दिखाई दे रहा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, यह स्थिति बनने की सबसे बड़ी वजह बाहरी कर्ज और ब्याज के पेमेंट हैं. आईएमएफ , एफडीआई और अन्य जगहों से मिले कर्ज 26.17 फीसदी बढ़कर 33.611 ट्रिलियन रुपये हो गए हैं. सिर्फ आईएमएफ का कर्ज ही 24.17 फीसदी बढ़कर 2.142 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया है ।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी कहा है कि पाकिस्तान को कर्ज चुकाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही वैश्विक वित्तीय निकाय ने नकदी की कमी से जूझ रहे देश की कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह किया जा रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गई। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में वाशिंगटन बेस्ड बैंक का आकलन ऐसे वक्त में आया है, जब आईएमएफ सहायता दल शुक्रवार को पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए पहुंचा है।
इस्लामाबाद ने विस्तारित फंड सुविधा के तहत नए राहत पैकेज का अनुरोध किया था। आईएमएफ का दल इस अनुरोध पर चर्चा के लिए आया है। जियो न्यूज ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान पर जारी अपनी स्टाफ रिपोर्ट में आईएमएफ के हवाले से कहा कि कर्ज चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता गंभीर जोखिमों के अधीन है और यह नीतियों को लागू करने तथा समय पर बाहरी फंडिंग पर निर्भर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से सुधारों को अपनाने में देरी, उच्च सार्वजनिक ऋण और सकल वित्त पोषण की जरूरतें और सामाजिक-राजनीतिक कारक – नीति कार्यान्वयन को खतरे में डाल सकते हैं।
आईएमएफ स्टाफ रिपोर्ट में कहा गया, ‘डाइनसाइड रिस्क असाधारण रूप से ऊंची बनी हुई है। जबकि नई सरकार ने स्टैंडबाय अरेंजमेंट पॉलिसीज को जारी रखने के अपने इरादे का संकेत दिया है। वहां राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है। यह अनिश्चितता पॉलिसी मेकिंग पर गहरा असर डाल सकती है, खासकर जीवनयापन की ऊंची लागत और अन्य राजनीतिक जटिलताओं को देखते हुए।’ इसमें चेतावनी दी गई है कि यह अनिश्चितता पॉलिसी मेकिंग पर गहरा असर डाल सकती है, खासकर जीवनयापन की ऊंची लागत और अन्य राजनीतिक जटिलताओं को देखते हुए।
जियो न्यूज ने पाकिस्तान पर इस महीने की शुरुआत में जारी अपनी स्टाफ रिपोर्ट में वाशिंगटन स्थित ऋणदाता के हवाले से कहा है कि फंड चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता महत्वपूर्ण जोखिमों के अधीन है और नीति कार्यान्वयन और समय पर बाहरी वित्तपोषण पर गंभीर रूप से निर्भर है।
असाधारण रूप से उच्च जोखिम – विशेष रूप से सुधारों को अपनाने में देरी, उच्च सार्वजनिक ऋण और सकल वित्तपोषण की जरूरतें, कम सकल भंडार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की शुद्ध एफएक्स व्युत्पन्न स्थिति, प्रवाह में गिरावट और सामाजिक-राजनीतिक कारक – नीति कार्यान्वयन को खतरे में डाल सकते हैं। और पुनर्भुगतान क्षमता और ऋण स्थिरता को नष्ट कर देता है ऐसा रिपोर्ट में कहा गया ।इसमें आगे कहा गया है कि पाकिस्तान की फंड चुकाने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए बाहरी व्यवहार्यता बहाल करना महत्वपूर्ण है, और यह मजबूत नीति कार्यान्वयन पर निर्भर करता है, जिसमें बाहरी संपत्ति संचय और विनिमय दर लचीलापन शामिल है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।
इसमें यह भी कहा गया है कि भू-राजनीतिक अस्थिरता जोखिम का एक अतिरिक्त स्रोत है, भले ही पिछली समीक्षा के बाद से वैश्विक वित्तीय स्थितियों को लेकर अनिश्चितता में कुछ हद तक गिरावट आई है।वैश्विक ऋणदाता ने कहा कि देश को अगले पांच वर्षों के दौरान 123 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सकल वित्तपोषण की आवश्यकता है, साथ ही कहा कि पाकिस्तान को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2025-26 में 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग करने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि संकटग्रस्त देश को 2026-27 में 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर, 2027-28 में 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2028-29 में 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उम्मीद है।मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वैश्विक ऋणदाता की एक सहायता टीम देश की वित्तीय टीम के साथ अगले दीर्घकालिक ऋण कार्यक्रम के पहले चरण पर चर्चा करेगी।सूत्रों ने कहा कि अग्रिम दल बातचीत के लिए पाकिस्तान पहुंच चुका है जबकि आईएमएफ मिशन 16 मई को पहुंचेगा।
टीम विभिन्न विभागों से डेटा प्राप्त करेगी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ वित्तीय वर्ष 2025 (FY2025) के आगामी बजट पर चर्चा करेगी।सूत्रों ने यह भी बताया कि टीम 10 दिनों से अधिक समय तक पाकिस्तान में रहेगी।पाकिस्तान ने जलवायु वित्तपोषण के माध्यम से वृद्धि की संभावना के साथ ईईएफ के तहत तीन वर्षों के लिए 6 और 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अगले बेलआउट पैकेज की मांग की थी ।
आईएमएफ के एक बयान में पहले कहा गया था, “अब सुधारों में तेजी लाना कार्यक्रम के आकार से अधिक महत्वपूर्ण है, जो सुधार के पैकेज और भुगतान संतुलन की जरूरतों द्वारा निर्देशित होगा।”इस बीच, पाकिस्तान ने अपने बाहरी वित्तपोषण में 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारी अंतर को पूरा करने के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में चीन जैसे प्रमुख सहयोगियों से लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण लेने का फैसला किया है क्योंकि संघीय सरकार का लक्ष्य बजट लक्ष्यों को प्राप्त करना है। आईएमएफ टीम के देश में अपेक्षित आगमन से पहले।वित्त मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सऊदी अरब से 5 अरब अमेरिकी डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 3 अरब अमेरिकी डॉलर और चीन से 4 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद ली जाएगी, साथ ही कहा गया है कि अगले वित्तीय वर्ष में चीन से और नए वित्तपोषण का अनुमान भी शामिल किया जाएगा। पर यह मिलेगा कि नहीं इस बात पर अब शंका जताई जा रही है ।
पाकिस्तान को नए ऋण कार्यक्रम के तहत आईएमएफ से 1 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक प्राप्त होना था जबकि विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से नए वित्तपोषण को भी अनुमानित बजट में शामिल किया गया था ।
ज्ञात हो कि वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है और एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं। वर्ल्ड बैंक का यह अनुमान 1.8 प्रतिशत की सुस्त आर्थिक वृद्धि दर के साथ बढ़ती महंगाई पर आधारित है, जो चालू वित्त वर्ष में 26 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान तीन साल तक घाटे में रह सकता है। वर्ल्ड बैंक ने कहा कि करीब 9.8 करोड़ पाकिस्तानी पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। वही, गरीबी की दर लगभग 40 प्रतिशत पर बनी हुई है। गरीबी रेखा के ठीक ऊपर रह रहे लोगों के भी नीचे आने का जोखिम है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पाकिस्तान में महंगाई दर 30 फीसदी से ऊपर थी।